बुधवार, 18 अगस्त 2010

ऐसी देशभक्ति का क्या फायदा??????????

अभी थोड़े दिन पहले ही संजय दत की एक फिल्म आई थी "लम्हा" |  जिसमे  एक सीन था "आई आई लस्कर आई भारत तेरी मौत आई" | बहुत ही बुरा लगा उस सीन को देख कर | फिर ये बात मैंने अपने एक मित्र को बताई, उन्होंने तब तक वो फिल्म नहीं देखी थी, भो भड़क गए, की ये अभिव्यक्ति की आज़ादी का दुरूपयोग है, तुमको पता होना चाहिए की क्या बोल रहे हो | मैंने उनसे माफ़ी मांग ली उनकी भावना को ठेस पंहुचा था |

मैंने सोचा ये वाक्य को दुसरे तरीके से देखा जाये तो आज भारत में माओवादी हाहाकार मचा रहे हैं, यहाँ भारत की मौत हो रही है | जात पात का इतना बोल बाला है की जन गणना  भी जाती आधारित होने वाली है, , यहाँ भारत की मौत हो रही है |   प्यार करने वाले युगलों को सरेआम मौत की सजा खाप पंचायतो द्वारा सुनाई जा रही है. नेता लोग अपने वोट बैंक के खो जाने के डर से चू भी नहीं कर रहे, , यहाँ भारत की मौत हो रही है |  क्षेत्रवाद में आम आदमी से लेकर नेता तक एक दुसरे पे कीचड़ उछल रहे हैं, , यहाँ भारत की मौत हो रही है |  करपशन का चारो तरफ बोल बाला है| सरकारी ऑफिस में बाबु से लेकर चपरसी तक सभी को चाय नास्ता के लिए चाहिए , यहाँ भारत की मौत हो रही है | बेरोजगारी बढ रही है दिन प्रतिदिन , यहाँ भारत की मौत हो रही है | महगाई  बढ रही है, यहाँ भारत की मौत हो रही है | कदम कदम पे भारत की मौत हो रही है| अगर हम भारत को इन सब जगहों पे नहीं बचा सकते तो, ऐसी खोखली देशभक्ति का क्या फायदा की सिर्फ फिल्म में कहे एक सेंटेंस "आई आई लस्कर आई भारत तेरी मौत आई" का बुरा माने |