गुरुवार, 17 दिसंबर 2009

भारत बनाम चीन

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने कहा था की जब कोई तुम्हारे एक गाल पे थप्पड़ मार दे तो उसके सामने दूसरा गाल भी कर दो की लो भाई इसपे भी मार लो.

और हम आज्ञाकारी राष्ट्रपुत्र की तरह उनकी बात को मानते आये हैं.

पाकिस्तान के आधे कश्मीर पे आजादी के वक़्त ही कब्जा कर रखा है जिसे सरकार आज तक नहीं छुडा पाई. उसी के तर्ज पे चीन ने भी हमारी जमीं पे झंडा लहरा रखा है. और ताज़ी घटना में भी उसने कुछ और जमीं हथियाए हैं. हमारी सरकार के सुस्त विरोध की आवाज़ नक्कारखाने में तूती की आवाज़ बन के रह गयी.

घटना चाहे बदल जाये, पर मायने वही हैं , थप्पड़ के आगे दूजा गाल परोसने की.

हमारी सरकारे चाहए कांग्रेसी हो या नॉन कांग्रेसी , कभी भी ऐसा कोई कड़ा कदम नहीं उठा पाई की बाहरी तकते भारत के जमीन पे कदम रखने में पहले कम से कम एक बार भी सोचे.

सरकारों के इसी ढुलमुल नीति का परिणाम है की नेपाल और बांग्लादेश भी (एक पिद्दी और दूसरा पिद्दी का शोरबा) भारत को बन्दर घुड़की दे देते हैं.

एक चीनवासी का बयां आय था की चीन चाहे तो भारत के २८ टुकडे करा सकता है

बात तो सोलह आने सच है. कुछ राष्ट्रवादियों को मेरी ये बात अखर सकती है. पर पहले अपने गिरहबान में झांक के देखने की जरुरत हैं. सच का सामना खुद ब खुद हो जायेगा. भारत राज्य के २८ इकाइयों के राग भी तो अलग ही मालूम पड़ते हैं. कही जातीयता उफान पे है तो कही क्षेत्र्यिता हिलोर . मार रही है कही कट्टर धर्मवाद है तो कही अलगाववाद .

ऐसे में चाइना क्या कोई भी भारत के टुकडे करने के सपने देख सकता है. सपनो पे तो कोई रोक नहीं है.

चीन एक आर्थिक महाशक्ति है और साथ ही साथ सामरिक रूप में भी भारत से आगे है. दोनों देश की तुलना की जाये तो चीन हर मामले में आगे है. चीन की विकास दर भारत के विकास दर से २-३ प्रतिशत ज्यादा है. क्षेत्रफल के बारे में तुलना करने का सवाल ही नहीं है और जनसँख्या के बारे में भी यही आलम है.

चीन के बनाये सामान भारत के बाजारों में धड़ल्ले से बिकते हैं. दूर दराज के क्षेत्रो की बात न कर के अगर राजधानी दिल्ली की ही बात करें तो दुकानों पे बड़े बड़े बैनरों के साथ की "यहाँ चाइना का माल मिलाता है" बेचे और ख़रीदे जाते हैं. क्या इससे आर्थिक ढांचे को नुकसान नहीं पहुचता? क्या कर रही है सरकार इस बारे में?

चीन के पास सैनिको की संख्या ज्यदा है, परमाणु बोम्ब भी ज्यादे हैं, तोप, पनडुब्बी, लड़ाकू विमान सभी कुछ भारत के तुलना में ज्यादा हैं. मतलब की हर मामले में वो भारत से ज्यादा है. आगे है.

देश के बाहरी ताकतों के साथ भारत की तुलना के बाद अगर डर लगे तो वाजिब ही हैं. नेताओ के बयान से थोडी राहत मिलाती है की हमारे पास बाहरी ताकतों से निपटने के लिए पर्याप्त साधन मौजूद हैं. हम अपने विरोधियो का मुह तोड़ जबाब से सकते हैं

पर क्या करे? दिल है की मनाता नहीं.

गृहमंत्री का बयान आता है की यहाँ सभी सुरक्षित हैं. और उसके अगले दिन राजधानी दिल्ली में बम होने की गुमनाम कॉल के बाद सारा सुरक्षातंत्र पुरे दिन गरबा करता हुआ नजर आता है.बम होने की खबर झूटी निकती है और काल करने वाले का सुराग भी पता नहीं लग पता है.

शुक्रवार, 11 दिसंबर 2009

ख़ुशी

सुबह सवेरे पूरब से सूरज जब भी मुस्काता है
अपनी किरणों से जग को वह ख़ुशी दे जाता है

आसमान में देखो पक्षी कैसे उड़ाते जाते है ?
करते है कलरव और गीत ख़ुशी के गाते है

कलकल के के बहती नदी सबको ये समझाती है
रुकने को दुःख कहते है चलना ख़ुशी कहलाती है

फूलों पे मढ़राते भवंरे जब उसका रस पा जाते है
हो कर के मतवाले वे भी ख़ुशी में गाते है

काले काले बदल धरती पे जब बुँदे बरसते है
खेतो में लहराते पौधे झूम ख़ुशी में जाते है

गुरुवार, 26 नवंबर 2009

सुरज कि किरणें हैं निकली, आया है प्रभात नया

सुरज कि किरणें हैं निकली, आया है प्रभात नया

नई उमंगे, नई तरंगे, मन में है जज्बात नया .

------------



ऍ सुरज तुम रॉज चमक के जग को रोशन करते हो

अन्धकार को दूर भगा के जग में खुशियां भरते हो

ऍ सुरज तेरे हि कारण होता है, दिन रात नया

सुरज कि किरणें हैं निकली, आया है प्रभात नया

-----------

घनघोर अन्धेरे से लड्ने कि तुमसे हि शक्ति मिलती है

क्युं न पउजे तुम्को भगवन , तुमसे हइं कलिया. खिलती हैं

मन सतरन्गी हो जाये, फिर आता है हालात नया

सुरज कि किरणें हैं निकली, आया है प्रभात नया

--------------------------------

नवजीवन देने कि शक्ति है ऍ सुरज तेरी किरनो में

स्वीकार करो तुम ऍ भगवन ये जल क अर्पण चरणों में

दया तुम जग पे करते हो, देते नित सैगात नया

सुरज कि किरणें हैं निकली, आया है प्रभात नया

पांडव ने मारा था रावण को |

इतिहास की घंटी में मास्टर जी पढ़ा रहे थे | इतिहास भूगोल के बारे में तो कहा जाता है की इतिहास भूगोल बेबफा, रात को रात सुबह सफा . खैर इस कहावत का इस इतिहास की क्लास से कोई मतलब नहीं है | मास्टर जी पढ़ा रहे थे हम पढ़ रहे थे की हस्तिनापुर के राजा युधिस्ठिर के 4 भाई थे युधिस्ठिर को लेके 5 और कर्ण को लेके 6 . पर कर्ण ने बचपन में घर छोड़ दिया था . और अपने चचेरे भाई दुर्योधन के साथ रहता था . पांचो पांडवो की शादी द्रोपदी से हुई थी . पांचो पांडव ख़ुशी खुशी अपना जीवन यापन कर रहे थे . की शकुनी मामा ने युधिस्ठिर को जुए में हरा के उनका सारा राज पाट हड़प लिए . ये तो युधिस्ठिर गलती थी जुए पे आज की सरकार ने बैन लगा रखा है . क्या ये बात उस टाइम के लोगो को नहीं पता थी क्या ?
जुए में घर बार हारने के बाद जंगल में जाना पड़ा बनवास के लिए. बनवास करते करते वे पुरे भारत का भ्रमण कर लिए. जंगल में इह्नोने कई देशो से लडाईयां की. जिसमे इन्होने अफगानिस्तान को पूरी तदाह बर्बाद कर दिया .
इसी क्रम में इनकी दोस्ती कृष्ण भगवन से हुई. वे इनके परम मित्र बन गए.
फिर ये यात्रा करते हुए थोडा और आगे बड़े . रास्ते में द्रोपदी को एक जगह प्यास लगी . द्रोपदी ने पानी पिने की इच्छा जताई .
युधिस्ठिर ने भीम को पानी लाने के लिए कहा .
भीम पानी लाने ले लिए चल पड़े .
भीम के गए काफी देर हो गए , वे वापस नहीं आये .
युधिस्ठिर ने अर्जुन को भेजा . अर्जुन गए तो गए ही रह गए , आये नहीं .
एक - एक कर के युधिस्ठिर ने अपने सरे भाइयों को पानी के तलाश में भेज दिया काफी देर के बाद भी कोई वापस नहीं आया. तो युधिस्ठिर खुद पानी और अपने भाइयों की तलाश में निकले.

टहलते टहलते वे एक तालाब के किनारे पहुचे तो देखा की उनके चारो भाई अचेतन हुए पड़े हैं. उन्होंने सोचा की प्यास से बेहोश हैं. इनके चहरे पे पानी का छिटा मार के होश में लाया जाये . जैसे ही पानी लेने के लिए तालाब पे झुके तालन से आवाज आई अगर पानी पीना है तो मेरे प्रश्नों का जबाब देना पड़ेगा तुमको . युधिस्ठिर ने पूछा कौन हो आप? तालाब से आवाज़ आई मैं कौन बनेगा करोड़पति से अमिताभ बच्चन बोला रहा हूँ . युधिस्ठिर मान गए . सवाल जवाब देना उनके बाएं हाथ का खेल था .

अपने गुरु द्रोन की क्लास में हमेशा वो 95% नंबर जो लाते थे . 100% भी लाने की तयारी थी पर तब ग्रेडिंग की व्यवस्था हो गयी . यहाँ पे उन्होंने अमिताभ बच्चन के 100 सवालो का सही सही जबाब दिया . अमिताभ बच्चन ने खुश होके कहा- परीक्षार्थी, परीक्षक से ज्यादा ज्ञानवान है .
फिर युधिस्ठिर ने अपने भाइयो पे पानी के छिटके मारे. पानी के छिटके पड़ते ही सरे पांडव होश में आये गए . होश में आते ही उन्होंने युधिस्ठिर से सवाल की - भाईजान आप हम पे ये पानी के छिटके मार के होली क्यों मना रहे हो .. तभी से हम होली का त्यौहार मानते आ रहे हैं .
वह से पांचो पांडव पानी ले द्रोपदी के पास पूछे . पर उनको वह पे द्रोपदी नहीं मिली .

उन्होंने अपने आस पास का सारा जंगल छान मारा . रास्ते में उनको जटायु मिला . उसने बताया - लंका का राजा रावण आपकी द्रोपदी का हरण कर के ले जा रहा था . मैंने विद्रोह करने की कोशिश की तो उसने मेरे पंख ये कह के का दिया की - ये पंख हमके डेड जटायु . मैं द्रोपदी को बचा नहीं पाया .

जटायु के दिशा निर्देश पे पे आगे बड़े . रास्ते में उनको हनुमान जी मिले .हनुमान जी ने उनको सुग्रीव से मिलाया . सुग्रीव ने बताया की अगर उनको उसकी मदद चाहिए तो बदले में उसको , उसके भाई बाली का राज्य दिलाना होगा .पांडव तैयार हो गए. युधिस्ठिर

ने अपने भाई भीम को बाली से लड़ने के लिए भेजा . भीम ने बाली को मल्लयुद्ध में बाली को पछाड़ दिया और उसके पैर पकड़ के दो तुकडे कर दिए . बाली की जगह सुग्रीव राजा बन गया .बाली को इतिहास में जरासंध के नाम से भी जाना जाता है.

सुग्रीव ने अपने वादे के अनुसार हनुमान को द्रोपदी की खोज में भेजा .
हनुमान ने पता लगाया की द्रोपदी को लंका के राजा रावण ने अशोक वाटिका में रखा है.
द्रोपदी का पता लगते ही पांडवो ने लंका पैर चढाई करने की योजना बनाई. लंका की तरफ बदते हुए वे जा पहुचे कन्याकुमारी. वहां से आगे जाने का मार्ग बंद था तो उन्होंने नल नील को बुला के सागर के उपर पूल बनाने का टेंडर देने को कहा . नल नील पूल बनाने के लिए तैयार हो गय. पूल बनाना चालू हो गया. पांडव रोज़ ही पूल की गुद्वात्ता की जाँच करते थे की कही इसमें नकली माल तो नहीं खपाया जा रहा है . कड़ी मेहनत और लगन से pool तैयार हो गयी . उसपे चढ़ के वे लंका की डरती पे उतारे ही थे की वहा के कस्टम वालो ने पासपोर्ट और वीसा की जाँच शुरू कर दी . कई लोग अंदर ही . पांडवो के पास भी पासपोर्ट और वीसा नहीं था . वनवास पे जाने के पहले दुर्योधन ने उनका पासपोर्ट और वीसा अपने पास जमा कर के देश से बहार जाने से मना किया था . कस्टम वाले पांडवो को अंदर ले जाने वाले ही थे की विभीषण वहा आ गए . उन्होंने पांडवो के सामने एक शर्त राखी . की अगर तुम को रावण को मारने का रास्ता बताऊ तो तुमको मुझे लंका का राजा बनाना पड़ेगा और बदले में मैं तुमको द्रोपदी को वापस कर दूंगा .

पांडव तैयार हो गए .

बहुत घमासान लडाई हुई और रावण मारा गया . पांडव अपनी द्रोपदी को लेकर वापस हस्तिनापुर आ गए .

और ख़ुशी ख़ुशी राज्य करने लगे .

नोट :
यह आज सन्(2009) के एक हजार साल बाद यानि 3009 के इतिहास के किताब के एक अध्याय से लिए गया है .

समर्पित :
उन सरकारों के नाम पे जो इतिहास को अपने मन से लिखवाते और स्कूल में पद्वते है . दूसरी सरकार आती है और उनमे फेरबदल कर के दुबारा से छपवाती है .