शुक्रवार, 8 जनवरी 2010

ये मेरा इंडिया !!

क्रिकेट, फिल्म और राजनीती हमेशा से ही भारतीय मानस का मनभावन विषय रहा है. और ये बिकाऊ चीज भी है. क्रिकेट और फिल्म दिखता है , इसलिए बिकता है. और ये इतना बिकता है की लोग बाग़ क्रिकेटरों का मंदिर बनाए लागते है तो नेताओ की देवी देवताओ से कॉम्पिटिशन करा देते हैं, उनकी वैसी तस्वीर बना के. और फ़िल्मी दुनिया की बात न ही अक्रें तो ही बेहतर है, वह हर कोई सवा शेर है.

ताजा खबर ये है की सर्वाधिक कमाई करने वाले दस क्रिकेटरों में भारतीयों का बोल बाला है. भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी एक साल में ४९ करोड़ कमाने वाले क्रिकेटर बन गए हैं . और गुना भाग करें तो उनकी एक दिन की कमाई साडे तेरह लाख रुपये की है, इतना अम्बानी बंधू भी क्या कमाएंगे . महेंद्र सिंह धोनी को अगर पैसा छपने की मशीन कहा जाये तो अतिश्योक्ति नहीं होगी. फर्श से अर्श तक का सफ़र तय करने वाले धोनी को अगर साल में कभी फुर्सत मिलाती होती होगी तो जरुर गुनगुनाते होंगे - साल मैं तो साहब बन गया .



यु पी के मुख्यमंत्री सुश्री मायावती को एक कलाकार में देवी के रूप में तस्वीर बनायीं . उन्हें देवी का दर्जा दिया, दे भी क्यों नहीं, अपने जीते जी अपनी मूर्ति बनाने के लिए करोडो रुपये खर्च करने का जोखिम कोई इंसान तो नहीं उठा सकता है.अपने हाथी पे करोडो का खर्च मिस मायावती ही करा सकती हैं. क्यों की -

जय कन्हैया लाल की , मदन गोपाल की,

लड़को का हाथी घोड़ा , बुड्डो की पालकी



भारत के पूरब केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह जी भी खूब हैं . जिन्ना का जिन्न बोतल से से क्या निकला सारा देश ही उठा पुथल करने लगा. भाजपा वाले एक सुर में अलापने लगे -

गैरो पे करम , अपनों में सितम ऐ जाने वफ़ा ये जुल्म ना कर .

काफी ट्रेजडी बहरे ड्रामे के बाद जसवंत सिंह को भाजपा से भहर का रास्ता दिखा दिया गया गया. जसवंत सिंह भी कमर कस के बोले हम किसी से कम नहीं. अपनों से नाराजगी और बिरोध झेला तो क्या हुआ? जन्नत में बैठे जिन्ना की रूह ने तो उनको दुआए दी. और दिल की गहरे से निकली हुई दुआ हमेशा कारगर होती है.
दिल्ली के पन्द्रहवें पुस्तक मेला में जसवंत जी के पुस्तक की लगभग चालीस हजार प्रतियाँ बिकीं . किताब ने ढाई करोड़ कामये और आगे और भी कमाएगी.

बोलिबुड के किंग खान में क्रिकेट के महाकुम्भ आई पी एल २०-२० के मैचों के लिए खिलाडी किराये पे लिए, कीमत करोडो रुपये. आमिल खान ने आठ पैक बनाये औए फिल्म बनाये, और कुछेक हफ्ते में ही कमाई की सौ करोड़ से जायदा की रकम. यानो आमदनी अठन्नी और खरचा रुपैया…..अ …माफ़ करना .. मेरा मतलब की हल्दी लगी ना फिटकरी रंग चोखा आया . यहाँ अक्षय कुमार की बात ना करें तो बेईमानी होगी. इनने ना बॉडी दिखाया और ना खिलाडी किराये पे लिए (खुद खिलाडी जो ठहरे ) . सिर्फ अपनी आवाज की कीमत पचासों करोड़ रुपये लगाई, एक एनीमेशन फिल्म के वौइस् डबिंग के लिए .



९ जनवरी २००३ को गरीबो को शिक्षा देने के मकसद से, भारतीय शिक्षा कोष को, मानव संशाधन विकास मंत्रालय ने धन कुबेरों के दान (गुरु दक्षिणा) से करोडो रुपये जमा होने के उम्मीद से बनाया था. कोष बनाते वक़्त मंत्रालय में १ करोड़ रुपये दिए और नवोदय विद्यालय समिति ने २२६०८८३ रुपये दिए . इसके बाद ६ सालों में सिर्फ एक दान मिला १६५१ रुपये का . अब मंत्रालय इस कोष को बंद करने को सोच रही है.

2 टिप्‍पणियां:

मनोज कुमार ने कहा…

अच्छी जानकारी। धन्यवाद।

miracle ने कहा…

bahut sahi jaakari...