सुरज कि किरणें हैं निकली, आया है प्रभात नया
नई उमंगे, नई तरंगे, मन में है जज्बात नया .
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ऍ सुरज तुम रॉज चमक के जग को रोशन करते हो
अन्धकार को दूर भगा के जग में खुशियां भरते हो
ऍ सुरज तेरे हि कारण होता है, दिन रात नया
सुरज कि किरणें हैं निकली, आया है प्रभात नया
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घनघोर अन्धेरे से लड्ने कि तुमसे हि शक्ति मिलती है
क्युं न पउजे तुम्को भगवन , तुमसे हइं कलिया. खिलती हैं
मन सतरन्गी हो जाये, फिर आता है हालात नया
सुरज कि किरणें हैं निकली, आया है प्रभात नया
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नवजीवन देने कि शक्ति है ऍ सुरज तेरी किरनो में
स्वीकार करो तुम ऍ भगवन ये जल क अर्पण चरणों में
दया तुम जग पे करते हो, देते नित सैगात नया
सुरज कि किरणें हैं निकली, आया है प्रभात नया
5 टिप्पणियां:
अच्छी रचना। बधाई। ब्लॉगजगत में स्वागत।
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स्वागत है आपका.
निरंतर लेखन से चिट्ठाजगत को समृद्ध करे.
-सुलभ
आप आये बहार आयी .......
कुछ नया ही दे के जाइयेगा
बहुत ही सुंदर रचना है। ब्लाग जगत में द्वीपांतर परिवार आपका स्वागत करता है।
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