गुरुवार, 26 नवंबर 2009

सुरज कि किरणें हैं निकली, आया है प्रभात नया

सुरज कि किरणें हैं निकली, आया है प्रभात नया

नई उमंगे, नई तरंगे, मन में है जज्बात नया .

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ऍ सुरज तुम रॉज चमक के जग को रोशन करते हो

अन्धकार को दूर भगा के जग में खुशियां भरते हो

ऍ सुरज तेरे हि कारण होता है, दिन रात नया

सुरज कि किरणें हैं निकली, आया है प्रभात नया

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घनघोर अन्धेरे से लड्ने कि तुमसे हि शक्ति मिलती है

क्युं न पउजे तुम्को भगवन , तुमसे हइं कलिया. खिलती हैं

मन सतरन्गी हो जाये, फिर आता है हालात नया

सुरज कि किरणें हैं निकली, आया है प्रभात नया

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नवजीवन देने कि शक्ति है ऍ सुरज तेरी किरनो में

स्वीकार करो तुम ऍ भगवन ये जल क अर्पण चरणों में

दया तुम जग पे करते हो, देते नित सैगात नया

सुरज कि किरणें हैं निकली, आया है प्रभात नया

5 टिप्‍पणियां:

मनोज कुमार ने कहा…

अच्छी रचना। बधाई। ब्लॉगजगत में स्वागत।

Bhagyoday ने कहा…

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Sulabh Jaiswal "सुलभ" ने कहा…

स्वागत है आपका.
निरंतर लेखन से चिट्ठाजगत को समृद्ध करे.

-सुलभ

alka mishra ने कहा…

आप आये बहार आयी .......
कुछ नया ही दे के जाइयेगा

dweepanter ने कहा…

बहुत ही सुंदर रचना है। ब्लाग जगत में द्वीपांतर परिवार आपका स्वागत करता है।
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